AMRITPAL SINGH NEWS: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथी रहेंगे असम के डिब्रूगढ़ जेल में लेकिन कई कुख्यात आरोपियों को यहीं क्यों रखा जाता है?, जान लीजिये

AMRITPAL SINGH NEWS: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथी रहेंगे असम के डिब्रूगढ़ जेल में लेकिन कई कुख्यात आरोपियों को यहीं क्यों रखा जाता है?, जान लीजिये

AMRITPAL SINGH NEWS: खालिस्तान समर्थक भगोड़े अमृतपाल सिंह को रविवार(23 अप्रैल 2023) को पंजाब पुलिस ने मोगा जिले के रोडे गाँव से गिरफ्तार कर लिया है और अब उसे और उसके सहयोगियों को अंग्रेजों के जमाने की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रखा गया है परन्तु अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में ही ज्यादातर कुख्यात आरोपियों को क्यों रखा जाता है आज हम आपको यही बताने की कोशिश करेंगें। बता दें अमृतपाल अपने नौ सहयोगी दलजीत सिंह कलसी, पापलप्रीत सिंह, कुलवंत सिंह धालीवाल, वरिंदर सिंह जोहल, गुरमीत सिंह बुक्कनवाला, हरजीत सिंह, भगवंत सिंह, बसंत सिंह और गुरिंदरपाल सिंह औजला के साथ डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

डिब्रूगढ़ जेल की ख़ास बातें-

डिब्रूगढ़ जेल(Dibrugarh Jail) आजादी के पहले की जेल है और इसे अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करने के लिये बनाया था। अंग्रेजों द्वारा इसे 1859-60 में में बनाया गया था। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र की सबसे पुरानी और सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है इसे कंक्रीट से बनाया गया है। यह जेल परिसर 15.54 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और असम पुलिस के ब्लैक कैट कमांडो, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा कर्मियों से घिरा हुआ है। आजादी के बाद इस जेल में उल्फा के उग्रवादियों से लेकर अब खालिस्तान समर्थकों को रखा जाना शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार इस जेल को 170 सालों में एक बार भी ब्रेक नहीं किया गया है इसी लिए इसे देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक माना जाता है।

भाषा भी है डिब्रूगढ़ जेल में रखने की एक वजह-

ऐसा माना जा रहा है कि खालिस्तान समर्थकों को असम की जेल में इस लिए रखा जा रहा है ताकि इनका अपने समर्थकों से कनेक्शन टूट जाए और जहाँ इन्हें रखा जा रहा है वहां भी कोई बड़ी गड़बड़ी न हो सके क्योंकि अमृतपाल सिंह और उसके साथी पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा जानते हैं जबकि डिब्रूगढ़ जेल असम में स्थित है और यहाँ पर असमिया भाषा प्रमुखतः से बोली जाती है और अमृतपाल सिंह और उसके साथीयों को असमिया भाषा नहीं आती है तो उनका जेल में भी किसी अन्य कैदियों से संपर्क नहीं हो पायेगा। अगर अमृतपाल और उसके सहयोगियों को पंजाब की जेल में रखा जाता, तो राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी और अगर इन्हें, गुजरात, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र या राजस्थान की जेल में रखा जाता तो यहाँ के कई कैदी पंजाबी बोल और समझ सकते थे जिससे अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों को क़ानून व्यवस्था बिगड़ने में आसानी होती।

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