मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के संविदा कर्मियों को नियमितीकरण जैसी सुविधाएं दीं परन्तु नियमितीकरण क्यों नहीं किया?, कहीं इसके पीछे कोई कारण तो नहीं?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के संविदा कर्मियों को नियमितीकरण जैसी सुविधाएं दीं परन्तु नियमितीकरण क्यों नहीं किया?, कहीं इसके पीछे कोई कारण तो नहीं?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के संविदा कर्मियों को नियमितीकरण जैसी सुविधाएं दीं परन्तु नियमितीकरण क्यों नहीं किया?, कहीं इसके पीछे कोई कारण तो नहीं?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के संविदा कर्मियों को नियमितीकरण जैसी सुविधाएं दीं परन्तु नियमितीकरण क्यों नहीं किया?, कहीं इसके पीछे कोई कारण तो नहीं?

MP SAMVIDA NEWS: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के संविदा कर्मियों की बहुत पुरानी मांगों को 04 जुलाई 2023 के दिन घोषणा करके स्वीकृति दे दी। इस खबर के आने से प्रदेश के संविदा कर्मी बहुत खुश हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह फैसला इसी साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए लिया गया है। वैसे कारण कोई भी हो संविदा कर्मी जो चाहते थे वह तो हो ही गया है, परन्तु क्या वाकई संविदा कर्मी यही चाहते थे? जवाब है नहीं वास्तविकता में संविदाकर्मियों की असली मांग उनको नियमितीकरण करने की थी परन्तु CM शिवराज ने नियमितीकरण को लेकर कोई बात नहीं कही सिर्फ नियमितीकरण जैसी सुविधाएं देने पर जोर रखा। क्या इस बात से मन में यह शंका उत्पन्न नहीं होती है कि जब CM शिवराज ने संविदा कर्मियों को सारी सुविधाएं नियमित कर्मचारियों की तरह देने की घोषणा की है तो उन्होंने सीधे यह क्यों नहीं कहा की अब से प्रदेश के सभी संविदा कर्मचारी नियमित कर्मचारी की तरह ही हो गए हैं अतः उनका नियमितीकरण किया जाता है। जब एक वाक्य में ही सारी बात पूरी हो सकती थी तो क्यों CM शिवराज ने इस एक वाक्य को न बोलकर कई सारे वाक्य बोले? और संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारियों की तरह सुविधाएं देने की घोषणा की, न कि नियमित किया। आइये विस्तार से समझते हैं कारण को।

संविदा कर्मियों को लेकर क्या घोषणाएं की CM शिवराज ने-

आइये पहले यह जानत हैं कि मामा शिवराज ने मध्यप्रदेश के संविदा लेकर 04 जुलाई 2023 को क्या घोषणाएं कीं-

  • संविदा कर्मचारियों की सेवाएं प्रतिवर्ष रिनुअल की प्रक्रिया समाप्त होगी।
  • संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलेगा।
  • नेशनल पेंशन स्कीम का लाभ दिया जाएगा।
  • स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाएगा ।
  • संविदा कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ भी मिलेगा ।
  • संविदा कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी की व्यवस्था रहेगी।
  • नियमित पदों पर भर्ती में संविदा कर्मचारियों को 50% पदों पर आरक्षण रहेगा।
  • नियमित कर्मचारियों की तरह अवकाश के साथ मातृत्व अवकाश भी प्रदान किया जाएगा।
  • संविदा कर्मचारियों को छुट्टियां सीएल, ईएल, ऐच्छिक अवकाश भी नियमित कर्मचारियों की तरह की जाएगी।
  • संविदा कर्मचारियों के काटे गए वेतन की राशि वापस की जाएगी।

अतः कुल मिलकर मामा ने संविदा कर्मियों को लेकर 10 बड़ी घोषणाएं कीं परन्तु एक बार भी नियमितीकरण की बात नहीं कही।

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संविदा मतलब अब पक्के कर्मचारी?

दिन कुछ ही दिन पहले खबरें आ रही थी की प्रदेश में भी संविदा में नहीं रहेगा सभी को नियमित किया जाएगा, प्रदेश से संविदा कल्चर को जाएगा। सरकार राज्य से संविदा कल्चर खत्म करने जा रही है। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। संविदा कर्मचारियों को सरकारी कर्मी की तरह सुविधाएं देने के लिए पॉलिसी तैयार कर ली गई है। जिससे सीधे प्रदेश के 2.50 लाख कर्मचारियों को फ़ायदा होगा। इस खबर से यह अनुमान लगाया जा सकता था की सरकार अब प्रदेश के संविदा कर्मचारिओं को लेकर गंभीर है।

क्या नियमितीकरण की बात न करके कोई चालांकी की है CM शिवराज ने?

प्रदेश के सभी राजनैतिक दाल जानते हैं कि प्रदेश में लगभग 2.50 लाख से भी अधिक संविदा कर्मचारी हैं जिनका साथ यदि मिल जाए तो विधायकों की संख्या में वृद्धि अवश्य होगी और इसी विषय को ध्यान में रखते हुए ही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दांव चलते रहते हैं। वर्ष 2018 के विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस ने चुनाव जीतने पर संविदा कर्मियों को स्थाई करने की बात कही थी और फिर कांग्रेस चुनाव जीती भी थी परन्तु ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण कांग्रेस की सरकार गिर जाती है और संविदा कर्मियों का सपना अधूरा रह जाता है। रही बात नियमितीकरण की तो CM शिवराज ने 04 जुलाई की सभा में नियमितीकरण शब्द इस लिए प्रयोग में नहीं लिया क्योंकि इससे बात बहुत जल्दी ख़त्म हो जाती और इस नियमितीकरण के बदले के बदले कम शिवराज जो चाहते थे वो नहीं हो पता और वह चाहते यह थे की मैं बात को लम्बी करके बोलूं ताकि संविदाकर्मी मुझसे खुश हो जाएँ और मुझे इसके बदले वह दे दें जो मैं चाहता हूँ…( वोट )

क्या संविदा कर्मी इस फैसले से खुश हैं?

अब सवाल यह उठता है की क्या कर्मी CM शिवराज के इस फैसले हैं? इसका जवाब तो वही जानते हैं परन्तु अब यह जरूर कहा जा सकता है की “संविदा मतलब अब पक्के कर्मचारी” और सारी सुविधाएं भी पक्के कर्मचारियों जैसी मतलब हो गए मध्य प्रदेश के सभी लगभग 2.50 लाख कर्मचारी परमानेंट।

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