यह थे टाटा नैनो के बर्बाद होने के कारण, कंपनी यह कर लेती तो छा जाती कार

image credit- tata motor

ब्रांडिंग की समस्या- नैनो को "सबसे सस्ती कार" के रूप में प्रचारित किया गया, जिससे यह गरीबों की कार के रूप में जानी-जाने गई।

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सुरक्षा की चिंता- लोगों के मन में नैनो की सुरक्षा के बारे में संदेह था, खासकर शुरुआती मॉडलों में आग लगने की घटनाओं के बाद।

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निर्माण गुणवत्ता और आकर्षक डिजाइन की कमी- नैनो की निर्माण गुणवत्ता और फीचर्स अन्य कारों की तुलना में कम माने गए। नैनो का डिजाइन लोगों को बहुत आकर्षित नहीं कर पाया।

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प्रारंभिक लॉन्च में देरी एवं मार्केटिंग रणनीति में कमीं- सिंगूर विवाद के कारण उत्पादन में देरी हुई, जिससे बाजार में जल्दी प्रवेश नहीं कर पाई। टाटा की मार्केटिंग रणनीति में नैनो के प्रीमियम वेरिएंट्स का ठीक से प्रचार नहीं किया गया।

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कुल लागत- शुरुआती मॉडल की कीमत कम थी, लेकिन टैक्स, इंश्योरेंस और अन्य चार्जेस के साथ यह महंगी साबित हुई।

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वितरण नेटवर्क और प्रतिस्पर्धा- टाटा का डीलर नेटवर्क और सर्विस सेंटर कुछ क्षेत्रों में सीमित था। बाजार में मौजूद अन्य सस्ती और विश्वसनीय कारों ने नैनो को कड़ी टक्कर दी।

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इंजन प्रदर्शन और आराम की कमी- नैनो का इंजन प्रदर्शन और पावर कम माने गए। नैनो में अन्य कारों के मुकाबले कम आरामदायक सुविधाएं थीं।

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फाइनेंसिंग विकल्प और विस्तार की योजना की कमीं- ग्राहकों को कार खरीदने के लिए पर्याप्त फाइनेंसिंग विकल्प नहीं मिले। टाटा ने अन्य बाजारों में नैनो के विस्तार के लिए पर्याप्त योजना नहीं बनाई।

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आरंभिक नकारात्मक समीक्षा एवं दूसरे मॉडल्स की उपलब्धता- नकारात्मक मीडिया कवरेज और शुरुआती समस्याओं ने कार की छवि को खराब किया तथा उसी कीमत पर बेहतर फीचर्स और प्रदर्शन देने वाले अन्य मॉडल्स उपलब्ध थे।

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सेगमेंट पहचान और लिमिटेड अपग्रेड्स- नैनो ने सही सेगमेंट की पहचान नहीं की और एक व्यापक ग्राहक आधार को लक्षित किया। नैनो के मॉडलों में सीमित अपग्रेड्स और सुधार थे।

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सर्विस और मेंटेनेंस एवं ग्राहक अपेक्षाएं- सर्विस और मेंटेनेंस की गुणवत्ता को लेकर ग्राहकों में असंतोष था। ग्राहकों की अपेक्षाएं नैनो से ज्यादा थीं, जो इसे पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाई।

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