यह है होम्योपैथी का सम्पूर्ण इतिहास, 200 सालों में छा गई है दुनियाँ में

होम्योपैथी का इतिहास और विकास एक लंबी यात्रा है। इसे विभिन्न देशों और संस्कृतियों में अपनाया गया है।

आज भी यह चिकित्सा पद्धति विभिन्न विवादों के बावजूद विश्व भर में प्रचलित है। इस चिकित्सा पद्धति को कई देशों ने बैन भी करके रखा है।

इस चिकित्सा पद्धति ने कई मरीजों की पुरानी-से-पुरानी बिमारी को ठीक किया है वहीं कई ऐसी बीमारियों को भी ठीक किया है जिसका एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज ही नहीं है।

होम्योपैथी की शुरुआत 18वीं शताब्दी के अंत में जर्मनी में हुई थी। इसके जनक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन (Samuel Hahnemann) को माना जाता है।

उन्होंने होम्योपैथी का सिद्धांत “समानता के नियम” (Law of Similars) पर आधारित किया जिसका कहना है कि “सम का इलाज सम से किया जाना चाहिए। 

समानता का नियम (Law of Similars)- इस नियमानुसार वह पदार्थ जो स्वस्थ व्यक्ति में किसी बीमारी के लक्षण पैदा करता है, वही पदार्थ उस बीमारी के लक्षणों का इलाज कर सकता है।

सर्वोच्च न्यूनतम खुराक (Minimum Dose)- इस पद्धति में दवाइयों को उच्च मात्रा में नहीं, बल्कि न्यूनतम मात्रा में दिया जाता है ताकि शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव न हो।

सिंगल रेमेडी (Single Remedy)- प्रत्येक रोगी को उसकी पूरी स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक ही दवा दी जाती है।

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